केंकडे की चतुराई(moral story)
केंकड़े की चतुराई
एक बहुत बड़ा तालाब था। उस तालाब में बहुत से जीव जन्तु रहते थे जैसे मछली ,मेंढक ,कछुआ , केकड़ा आदि। वही उस तालाब के पास एक बगुला रहता था । वह काफी बूढ़ा हो चुका था । और शिकार करने जितनी ताकत उसमे नहीं बची थी। उसका नाम भगत बगुला था ।
एक दिन केको केकड़ा उसके पास से गुजर रहा था। केको ने भगत बगुले को उदास बैठा देख कर पूछा कि - चाचा आप इस तरह यहाँ पर गुमसुम और उदास क्यों बैठे हैं ?क्या बात कुछ परेशानी है क्या?
इस पर
भगत बोला- नहीं भाई कोई परेशानी नहीं है। मैने तो अब सन्यास ले लिया है और अब मैंने शिकार
करना भी छोड़ दिया है बस दिनभर भगवान का भजन करता
हूँ ।पर एक चिंता मुझे मन ही मन सता रही है।
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केको ने पूछा- किस बात की चिंता
चाचा ?
इस पर भगत बगुला बोला -मुझे मेरी
नहीं इन तालाब के मेरे साथियों की चिंता है , जिनके साथ मैंने अपना बचपन, जवानी
,और अब बुढ़ापा यानि पूरा ही जीवन बिताया है। और अब इन साथियों के प्राण खतरे में
है।
प्राण खतरे में हैं ? वो कैसे ?
केको ने बड़े आश्चर्य से पूछा ।
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भगत बोला – धरती पर आकाल पड़ने वाला है । वह भी 12 वर्ष
का जिसमें सभी ताल तलैया सूख जाएंगे । और उसमें रहने वाले जीव मारे जाएंगे । दूसरे
तालाब के जानवर तो अभी से एक विशाल तालाब
में या नदी में जा रहे हैं ताकि उनकी
प्राणों की रक्षा हो सके । पर यहाँ के सभी जानवर तो निश्चित हो कर बैठे हैं।
केको केकड़ा बोला की यह बात आपको
किसने बताई ?
भगत बोला कि मुझे एक ज्योतिषी
मिले थे उन्होंने ही मुझे बताया कि ग्रहों के बुरी दशा के कारण पृथ्वी पर बारह
वर्ष लंबा आकाल पड़ेगा । और पृथ्वी के सभी जीव मृत्यु को प्राप्त होंगे। और इसी
कारण से मैं बेहद चिंतित हूँ ।
केको ने यह बात जाकर सभी तालाब के जानवरों को बताई । बात को सुनकर तालाब के जानवर बगुले के पास आए और उससे दस तरह के सवाल करने लगे। तथा इस समस्या का समाधान पूछने लगा ।
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बगुला एक कुटिल मुस्कान के साथ
बोला -इसका तो एक ही समाधान है कि कुछ दूर पर एक विशाल तालाब है। वह इतना बड़ा है
कि 24 साल के आकाल पड़ने पर भी नहीं सूखेगा
। तुम सब वहाँ जा कर अपने प्राणों की रक्षा कर सकते हो। लेकिन वह इतना दूर है कि वहाँ तक पैदल जाना संभव नहीं
है। हाँ तुम लोग चाहो तो एक एक को मैं अपनी पीठ पर बैठा कर वहाँ तक छोड़ कर आ सकता
हूँ ।
इस पर जानवर उसे चाचा, मामा,
काका, दादा, के नाम से संबोधित करते हुए कहने लगे कि पहले मुझे लेकर जाओ, पहले
मुझे लेकर जाओ।
bandar apni murkhta se keese pda musibat men>>
बगुला बोल तो ठीक है मैं एक एक
करके सबको अपनी पीठ पर बैठा कर ले जाऊंगा । अगले दिन से भगत एक या दो मछली या
मेंढक को अपनी पीठ पर ले जाता और कुछ दूरी पर स्थित चट्टान पर पटक पटक कर मारता और
खा जाता । फिर अगले दिन वापस या जाता । और पुनः उसी क्रम को दोहराया जाता । इस तरह
बहुत दिन बीत गए ।
एक दिन केको वहाँ पर आया और बोल
चाचा आपने मुझे ही सबसे पहले यह बात बताई पर मुझे अभी तक नहीं ले कर गए । मेरा नंबर
कब आएगा । बगुले ने सोचा -बहुत दिन से एक जैसा खाना खा रहा हूँ ,चल इसी बहाने मेरे
मुंह का स्वाद भी बदल जाएगा ।
यह सोचकर वह बोल चल कल तुमको ले जाऊंगा । अगले दिन वह केकड़े को अपनी पीठ पर बैठा कर ले चला । कुछ दूर जाने पर केकड़े ने एक चट्टान पर हड्डियों का ढेर देखा तो वह सब मजरा समझ गया । फी उसने अनजान बनते हुए बगुले से पूछा की चाचा कितनी देर में तालाब आएगा अब तो मुझे उठाते उठाते आपकी भी पीठ दुखने लगी होगी ।
बगुले सोचा की
अब तो यह मेरे चंगुल में है भाग कर कहाँ जाएगा ?इसलिए इसे सच बता ही देता हूँ ।
फिर वह बोला की महाशय जी हम किसी तालाब में नहीं जा रहे हैं अभी कुछ देर बाद ही
तुम मेरा भोजन बनने वाले हो । यह कहता हुआ वह नीचे की ओर चट्टान पर जाने लगा । पर
केकड़े ने भी फुर्ती दिखाई और अपने पैरों से उस बगुले की कोमल व मुलायम गर्दन को
जकड़ लिया । और तब तक दबाए रखा जब तक कि उस भगत के प्राण नहीं निकल गए ।
फिर वह धीरे
धीरे उसकी गर्दन लेकर वापस तालाब पर आया और सब जानवरों को पूरी बात बताई । इस पर
सभी ने उसका धन्यवाद किया ।
शिक्षा -- बुद्धि के सही इस्तमाल
से किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है तथा बड़ी से बड़ी मुसीबत से बाहर निकल
जा सकता है। और सही उपाय के द्वारा ही समस्या का हल हो सकता है।
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