तीन मछलियाँ (a moral story in hindi )

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तीन मछलियाँ

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रामपुर के पास एक तालाब था । उस तालाब में बहुत से जलीय जीव रहते थे । जैसे मछली , मेंढक, मगर,आदि । उसी तालाब में तीन मछलियाँ इनू,मीनू,डीकू  भी रहती थी जो कि पक्की सहेलियाँ थी । उन सब के परिवार भी थे । सब बड़े खुशी खुशी उस तालाब में रहते थे । वह तालाब उन जानवरों से हरा भरा था।

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एक दिन एक मछुआरा वहाँ नहाने आया तो उसने देखा कि अरे यहाँ तो बहुत सारी मछलियाँ है । लगता है कि किसी भी मछुआरे ने अभी तक इस तालाब में अपना जाल नहीं डाला है और न ही मछलियाँ ही पकड़ी है । इसलिए अगर मैने इस तालाब में जाल डाला तो मुझे बहुत सारी मछलियाँ हाथ लगेंगी । मुझे तो मजा ही आ जाएगा फिर मैं उन्हे बेच कर खूब रुपये कमाऊँगा । लेकिन अभी तो शाम हो गई है अंधेरा होने लगा है अतः कल प्रातः काल मैं यहाँ पुनः आऊँगा । और अपना जाल डालकर मछलियों को पकड़ूँगा ।एसा सोचकर वह मछुआरा अपने घर चला गया ।

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इनू मछली ने उस मछुआरे की पूरी बात सुन ली।उसकी बात सुनकर वह चितित हो गई ।कि अगर यह मछुआरा कल आया और उसने जाल डाला तो हम क्या करेंगे और यदि उसमें हम पकड़े गए तो हमारा जान बचाना भी मुश्किल हो जाएगा फिर हमारे परिवार का क्या होगा ।  अब उसने यह बात जाकर अपनी सहेलियों मीनू व डीकू मछली को बताई ।

मीनू बोली की अब हम क्या करें क्योंकि तुम्हारी चिंता करना तो बिलकुल उचित है । 

पर अब इस समस्या कोई हल तो निकालना होगा ।इनू बोली की इसका तो एक ही हल मुझे समझ आता है कि हम लोगों को आज रात ही यहाँ से निकल कर पास के दूसरे तालाब में चले जाना चाहिए । अन्यथा हम मारे जाएंगे । मीनू ने उसकी बात से 

सहमति जताते हुए उसकी हाँ में हाँ भरी।

डीकू मछली भी उन दोनों की बातों को सुन रही थी । अब उसने बोलना शुरू किया । 

वह हँसते हुए बोली कि तुम दोनों कैसी बातें कर रही हो । हम क्यों अपनी जगह छोड़कर कही और जाए। कोई भी कुछ भी कह देगा तो क्या हम उसकी बातों में आकर अपना घर छोड़ देंगे । हमें ऐसे किसी भी बातों को इतनी गंभीरता से नहीं लेना चाहिए । और अगर भगवान की कृपा हुई तो हमें कुछ भी नहीं होगा । हम यहाँ भी सुरक्षित रहेंगे। और अगर भगवान की कृपा नहीं  हुई तो हम वहाँ जाकर भी सुरक्षित नहीं रहेंगे ।  अतः हमें कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है । हमें यही रहना चाहिए क्योंकि हम यहाँ सुरक्षित है।

इनू ,मीनू ने डीकू को बहुत समझने की कोशिश की लेकिन वह अपनी बात पर अडिग थी और कही भी सुरक्षित जगह पर जाने को तैयार नहीं थी।

मीनू को अपनी जिद पर अड़ा देख वह दोनों बोली कि ठीक है अगर तुम नहीं जाना चाहती तो तुम यहीं रहो हम तो आज ही रात पास वाले तालाब में चले जाएंगे । मीनू 

बोली हाँ ठीक है तुम जाओ मैं तो अपने परिवार सहित यहीं पर रहूँगी। और फिर इनू , मीनू उस रात को ही अपने परिवार वालों को लेकर पास के तालाब में चली गई ।

तथा डीकू उसी तालाब में रहा गई । अगले दिन प्रातः काल होते ही मछुआरा अपने कथनानुसार उस तालाब पर मछलियाँ पकड़ने के लिए आ गया । उसने अपना जाल मछलियों को पकड़ने के लिए  तालाब में डाला । थोड़ी ही देर में बहुत सी तालाब की मछलियाँ उसके जाल में फंस गई । उन  फंसी हुई मछलियों मे डीकू और उसका परिवार भी था । अब जाल में फंसी हुई डीकू को अपनी सहेलियों और उनकी दी हुई सलाह की याद आ रही थी । और वह अपने निर्णय पर पछता रही थी ।

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शिक्षा :-

हमें अपने सच्चे मित्रों की सलाह को ध्यान से सुनना , समझना व मानना चाहिए । 

तथा परिस्थिति की गंभीरता को समझते हुए समझदारी से निर्णय लेना चाहिए । न कि किसी मुसीबत को सामने देख कर भी उसका उपाय न करके जो होगा देख लेंगे या बाद में सोचेंगे यह कह  कर टाल देना चाहिए ।       

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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