मूर्ख कछुआ (a moral story in hindi)

 मूर्ख कछुआ (a moral story in hindi)



मूर्ख कछुआ



एक तालाब में एक कछुआ रहता था। उसका नाम कुकुट था । इसी तालाब के पास ही दो हंस रहते थे , वह रोज तालाब पर आते थे । उनका नाम अटक ,पटक था । 

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वह दोनों कुकुट के दोस्त थे । उन तीनों में बहुत पक्की मित्रता थी । वे साथ में खेलते , खाते और शाम होने पर बैठ कर खूब सारी बातें करते । गर्मियों का मौसम जा चुका था लेकिन अभी तक बारिश नहीं हुई थी इसलिए तालाब का पानी भी सूख कर कम होने लगा था ।

यह देखकर कछुए को चिंता होने लगी । उसे चिंतित देख अटक , पटक ने ने उससे पूछा कि दोस्त क्या बात है तुम बड़े चिंतित दिखाई दे रहे हो ?

कछुआ बोला – हाँ मित्र ,सही है परेशान तो में बहुत हूँ ।

अटक बोला -हमें बताओ क्या बात है ? क्यों परेशान हो ? और हम तुम्हारी क्या मदद कर सकते हैं ?

इस पर कछुआ बोल कि मित्र बारिश न होने के कारण इस तालाब का पानी धीरे धीरे कम होता जा रहा है और अगर एसा ही चलता रहा तो एक दिन यह तालाब पूरी तरह सूख जाएगा । तो मेरा तो मरण हो जाएगा । अब मेरी समझ में तो कुछ भी नहीं आ रहा । तुम लोग ही इस समस्या का कोई समाधान निकलो और मेरी मदद करो ।

उन तीनों ने उस समस्या पर बहुत देर तक विचार किया । और अंत में यह निष्कर्ष निकाला कि इस समस्या का केवल यही हल है कि कुकुट को पास के बड़े तालाब में ले जाया जाए । तथा वहाँ तक ले जाने के लिए भी उन्होंने एक उपाय सुझाया । कि वे दोनों जंगल से एक बड़ी व मोटी लकड़ी लेकर आएंगे।और कछुआ उस लकड़ी को बीच से अपने मुंह से पकड़ लेगा । उसके बाद दोनों हंस उस लकड़ी को दोनों छोर से कसकर पकड़ लेंगे । तथा उड़ते हुए इस तालाब से दूसरे बड़े तालाब तक जाएंगे वहाँ जाकर कछुए को उस तालाब के किनारे पर  छोड़ देंगे। 

इस उपाय को क्रियान्वित करने से पूर्व अटक , पटक ने कछुए से कहा कि मित्र हमें तो उड़ना आता है पर तुम्हें बहुत सावधान रहना होगा क्योंकि तुम्हें उड़ना  नहीं आता अतः जब हम तुम्हें उड़ा कर ले जा रहे होंगे उस वक्त तुम लकड़ी को कसकर पकड़ना होगा साथ ही किसी भी लालच  या किसी अन्य की बातों में आकर उस लकड़ी को छोड़ मत देना । अन्यथा तुम जमीन पर गिर जाओगे । हमें मौन रहकर पूरा रास्ता पार करना होगा क्योंकि यह हमारी परीक्षा की घड़ी है ।

कछुए ने कहा कि ठीक है मैं सब समझ गया । अब तुम लोग मुझे ले जाने की तैयारी करो । अगले दिन वह दोनों हंस जंगल गए और वहाँ से ढूंढ कर एक मजबूत बांस की लकड़ी ले आए । तथा कछुए से बोले मित्र सफर के लिए तैयार हो जो हम लकड़ी लेकर आ गए हैं । कुकुट तो पहले से ही तैयार बैठा था वह फौरन उस लकड़ी के पास आया और उसे बीच में से अपने मुहँ में जोर से दबा लिया । अब हंसो ने भी लकड़ी के दोनों चोर अपने मुहँ में पकड़ लिए। और कछुए को ले कर दूसरे तालाब की ओर आकाश मार्ग से चल दिए । रास्ते में जब शहर के लोगों ने दो हंसों के बीच किसी गोलाकार चीज को उड़ते हुए देखा तो वे  शहरी कोतूहल पूर्वक जोर जोर से चिल्लाने लगे ।

 जब चिल्लाने की आवाज कछुए के कानों तक पहुंची तो उसने नीचे की ओर देखा जहां लोग हाथ ऊपर करके जोर जोर से चिल्ला रहे थे । उससे रहा नहीं गया उसने जल्दी से हंसों से पूछा की ये लोग क्यों चिल्ला रहे है ?

जैसे ही बोलने के लिए उसने मुहँ खोला तो बोलने के साथ ही उसके मुहँ से वह लकड़ी छूट गई । और वह सीधा आसमान से जमीन पर आ गिरा ।

जहां वह गिरा वहाँ कुछ मछुआरे भी खड़े थे । उन मछुआरों ने उस कछुए को पकड़ा और उसे पीट पीट कर मार डाला ।

इस तरह वह कछुआ अपने प्रिय दोस्तों की बात न मानने के वजह से मारा गया ।


शिक्षा :-

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा अपने हितचिंतकों अर्थात हमारा भला चाहने वाले जैसे मित्र , माता , पिता ,संबंधियों की बात को ध्यान से सुनना चाहिए । और उनके द्वारा दी गई राय को मानना भी चाहिए । अन्यथा हमें बहुत नुकसान हो सकता है और हम मुसीबत में भी पड़ सकते है ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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