टिटहरी का जोड़ा(a moral story in hindi)


टिटहरी का जोड़ा


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टिटहरी का एक जोड़ा समुद्र के किनारे रहता था । एक दिन टिटहरी ने अपने पति से कहा की हमें किसी सुरक्षत जगह पर अपना बसेरा  बनाना होगा ताकि मैं जब अंडे दूँ तो वह सुरक्षत रहें । यह स्थान सुरक्षित नहीं है।

इस पर टिटहरे ने कहा की तू चिंता मत कर यह जगह बिलकुल सुरक्षित है । तू निश्चिंत होकर अंडे दे ।

टिटहरी बोली कि – क्या तुम्हें पता नहीं है कि जब समुद्र में ज्वार आता है तो वह सब कुछ बहा कर ले जाता है । तो अपने अंडों को क्या छोड़ेगा ?

टिटहरा बोल – तू चिंता मत कर समुद्र में इतनी हिम्मत कहाँ कि वह हमारे अंडों को नुकसान पहुंचाए ,तू बेफिक्र होकर अंडे दे।

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समुद्र ने उन दोनों की बातें सुन ली और सोचने लगा की अच्छा इस टिटहरे में इतना घमंड अब तो इसका यह अभिमान तोड़ना ही पड़ेगा । जैसे ही टिटहरी ने अंडे दिए उसके दूसरे ही दिन समुद्र अपने ज्वार में उन अंडों को बहा ले गया ।

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टिटहरी ने जब ये देखा तो वो जोर जोर सर रोने लगी । और खाने लगी कि अरे  मूर्ख टिटहरे तेरी वजह से समुद्र मेरे अंडों को बहा कर ले गया। मैने पहले ही कहा था कि दूसरी सुरक्षित जगह देख लेते हैं पर तूने अभिमान वश मेरी बात नहीं सुनी । जिसका परिणाम भुगतना पड़ रहा है । और जो अपने प्रियजनों की बात नहीं सुनता है उसे मूर्ख कछुए की तरह ही परिणाम भुगतान पड़ता है। कौन  मूर्ख कछुआ टिटहरे ने पूछा।

तो सुनो मूर्ख कछुए की कहानी –

कहानी सुनाने के बाद टिटहरी ने कहा कि जो अपने प्रिय व हितचिंतकों की बात नहीं सुनता वह बर्बाद हो जाता है । बुद्धिमान व्यक्ति तो विपत्ति का अंदाज पहले से लगा लेते है और उसका उपाय भी पहले से ही सोच लेते है और जो विपत्ति आता देख कर अनदेखा कर देते है वह नष्ट हो जाते है। जैसे कि उस मूर्ख मछली के साथ हुआ और फिर उसने तीन  मछलीयों  की कहानी सुनाते हुए समझाया की कभी भी विपत्ति को अनदेखा नहीं करना चाहिए ।

सोचो फिर करो (a moral story in hindi)

इस पर टिटहरा बोल कि मैं मछली की तरह  मूर्ख नहीं हूँ । तू मेरी बुद्धिमानी देख की कैसे मैं अपनी चोंच से समुद्र का पानी बाहर निकाल कर उसे सूखा  देता  हूँ ।

टिटहरी  बोली कि  यह क्या मूर्खता है क्या तू नहीं जनता कि समुद्र कितना शक्तिशाली है । और तू उसके अपेक्षा एक बहुत ही छोटा सा जीव है। क्यों उस शक्तिशाली समुद्र से अकेला पंगा ले रहा है।  लेकिन उसका पति तो अदा हुआ था की समुद्र को सुखा कर ही मानूँगा  वह अपनी ही डींग मारे जा रहा था ।

टिटहरी ने कहा की ठीक है अगर तुम यही चाहते हो तो उससे पहले दूसरे पशु पक्षियों से भी सलाह तो कर लो  ।क्योंकि छोटे छोटे प्राणी भी मिलकर बड़े से बड़े जीव को हरा सकते हैं।जैसे कि चिड़िया और हाथी की कहानी में हुआ था । कौन सी कहानी टिटहरे ने पूछा । तो सुनो चिड़िया और हाथी की कहानी –

उस कहानी को सुनकर टिटहरे को टोटहरी की बात कुछ कुछ समझ मैं आ गई। उस ने कहा कि तू ठीक कहती है। अब मैं दूसरे पशु पक्षियों से मिलकर व पूछकर ही कोई काम करूंगा । फिर उसने पशु पक्षियों की एक सभा बुलाई और अपनी व्यथा सुनाई । इस पर मोर , बगुला , तोता , मैंना आदि बोले की हम तो अशक्त है पर गरुड जी हमारी अवश्य ही मदद कर सकते है । चलो हम उनके पास चलते है। सब मिलकर गरुड जी के पास गए और टिटहरे की दुख भरी कहानी सुनाई । कि कैसे समुद्र टिटहरी की अंडे ले गया । वे खाने लगे कि आज तो टिटहरी के ही अंडे ले गया है कल को हम सब के अंडे ले गया तो हमारी तो जाती ही नष्ट हो जाएगी।

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यह सुनकर गरुड महाराज को भी क्रोध आ गया । वे अनशन पर बैठ गए । और कहा कि जब तक इस समस्या का हल नहीं निकल आता या टिटहरी के अंडे वापस नहीं मिल जाते मैं भगवान विष्णु की सवारी नहीं ले जाऊंगा । जब गरुड भगवान विष्णु के पास नहीं पहुंचे तो भगवान विशु खुद उसके घर आए और सारा वृतांत पूछा – टब अरुद ने बड़ी ही विनम्रता से कहा कि समुद्र  मेरे साथी पक्षियों के अंडे बहा ले गया है । इस तरह से उस अभिमानी समुद्र ने मेरा भी अपमान किया है । अब मैं उससे मेरे अपमान का बदल लेना चाहता हूँ।

विष्णु जी ने कहा कि गलती तो समुद्र की है  अतः उसे दंड अवश्य ही मिलन चाहिए । अभी मैं अपने बयान से इस पूरे समुद्र को ही सुखा देता हूँ । यह कह  कर उन्होंने अपने धनुष पर बाण लगाया ऑउए बोले की ही समुद्र उस पक्षी के अंडे या तो अभी लौटा दे नहीं तो मैं अपने बाण से तेरा पानी सूखा दूंगा ।

यह सुनकर समुद्र डर गया। और  तुरंत ही टिटहरी के अंडे दे दिए । साथ ही आगे से एसा न करने का वचन भी दिया । टिटहरी भी अपने अंडे पाकर बहुत ही खुश हुई । तथा टिटहरे को भी अक्ल आ गई ।

शिक्षा

इससे हमें यह शिक्षा मिलती है की अपने हितैषी की बात को कभी भी अनसुना नहीं करना चाहिए । अपितु उसे ध्यान से सुनना चाहिए और उन की दी हुई सलाह पर अमल भी करना चाहिए । हितैषीयों की बातों को अनसुना करने वाला व्यक्ति शीघ्र ही नष्ट हो जाता है । इसके अलावा हमें यह शिकाश मिलती है कि बुद्धिमानों मे भी सबसे बुद्धिमान वही है जो आने वाली विपत्ति को पहले से ही भांप कर उसका उपाय कर ले या सोच ले व उसके अनुसार काम करे ।  

 

 

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