कुसंगति का फल

 

बुरी संगति का फल

किसी समय की बात है एक बहुत बड़ा राज्य था । उसमें सुबाहु नाम का राजा राज्य करता था । वह अपने राज्य की प्रजा की बड़ी भलाई करता था । तथा प्रजा भी उससे बहुत ही खुश थी । वह राज्य बहुत ही स्वच्छ व सुंदर था । राजा भी इस बात का बहुत खयाल रखता था की राज्य में किसी प्रकार की गंदगी ना हो जिससे मक्खी, मच्छर , बीमारियाँ आदि न हो।

राजा एक बड़े से महल में रहता था । उसका महल भी नगर की तरह ही बहुत सुंदर ,साफ ,स्वच्छ रहता था। महल के उत्तरी दिशा मे राजा का शयन कक्ष था । जिसकी खिड़की से राज्य का सम्पूर्ण नजारा दिखता था । राजा को अपना शयन कक्ष बहुत आधी प्रिय था । प्रतिदिन रात को वह वहाँ सोता था ।

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उस शयन कक्ष के अंदर राजा के पलंग पर चादर के अंदर छुप कर एक विसर्पणी जूँ रहती थी । वह करती क्या थी की वैसे तो जूँ चादर में छुपी रहती और जब राजा पलंग पर आकर सो जाता तो उसके गहरी नींद मे सोने का इंतजार करती और जब राजा गहरी नींद में सो जाता तब वह चादर में से बाहर निकलती।

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और बाहर निकाल कर आराम से राजा को खून चूसती । और अपना पेट भरती । उसे राजा का मीठा मीठा खून बहुत ज्यादा पसंद था । जूँ की यही दिनचर्या थी । अर्थात जूँ का यह रोज का कार्य था। उसके दिन इस तरह आराम से गुजर रहे थे इसलिए वह इस जीवन से काफी खुश थी ।

एक दिन की बात है कि एक विसर्प नाम का खटमल कहीं से घूमता हुआ वहाँ आ गया । उसे देखकर जूँ बड़ी दुखी हुई और किसी अनिष्ट की आशंका से आशंकित हो वह खटमल से बोली कि- तू यहाँ क्यों आया ?क्या काम है तुझे ?चला जा यहाँ से ।

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इस पर खटमल बोला -बहन तू इतनी कठोर क्यों है ?और इस तरह बात क्यों कर रही है ?मैं तो तेरा मेहमान हूँ । और मेहमान तो भगवान के बराबर होता है। तुझे मुझसे इस तरह बात नहीं करनी चाहिए बल्कि तुझे तो मेरी खातिरदारी  करनी चाहिए। क्योंकि  मैं तो तेरा मेहमान हूँ ।

इस पर जूँ को और गुस्सा आ गया वह बोली कि नहीं तुम यहाँ नहीं रह सकते । यह मेरा घर है । अगर तुम यहाँ रहोगे तो मेरी भी जान पर बन आएगी । तुम एक दुष्ट प्राणी हो ओर कहीं भी शांति से नहीं रह सकते। तुम कुछ गड़बड़ करोगे और में फंस जाऊँगी।


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खटमल बोला- नहीं बहन एसा नहीं है। मैं तो यहाँ बस कुछ दिन का ही मेहमान हूँ ।चुपचाप शांति से रहूँगा और चला जाऊंगा । कहीं कुछ गड़बड़ नहीं करूंगा । कृपया करके मुझे कुछ दिन यहाँ पर रहने दे ।तू तो रोज मीठा खून पीती  है पर मैने कभी भी मीठा खून नहीं पीया हमेशा ही खट्टा व गंदा खून ही पीया है ।  मुझे भी राजा का का मीठा मीठा खून चूस लेने दे ।

जूँ ने पहले तो कुछ देर सोचा । फिर वह बोली कि ठीक है दो चार दिन यहाँ रह ले फिर चुप चाप यहाँ से चला जाना । मुझे बोलने की जरूरत नहीं पडनी चाहिए ।खटमल इस बात के लिए तैयार हो गया । और बोला - ठीक है मैं तब ही राजा का खून पीऊँग  जब वह सो जाएगा और तुम उसका खून पी लोगी । उसके बाद ही मेरी बारी आएगी ।और अगर में अपना वचन तोड़ूँ तो मुझे बहुत बड़ा पाप लगेगा ।  

अब खटमल भी शयन कक्ष के पलंग की चादर के अंदर जाकर चुप के बैठ गया । और रात होने का इंतजार करने लगा । रात हुई तो राजा शयन कक्ष में आया और कुछ देर बाद पलंग पर जाकर लेट गया ।कक्ष की लाइट बंद कर दी गई और राजा ने चादर ओढ़ ली ।  पर अभी वह सोया नहीं था सोने की कोशिश ही कर रहा था ।

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पर खटमल से इंतजार नहीं हो पा रहा था । वह बैचेन हो रहा था की कब राजा कब सोए और कब वह उसका मीठा मीठा खून पीए । उसके मुंह में राजा के मीठे खून की बात सोच सोच कर ही पानी आ रहा था। और वह बहुत चंचल था । उससे रुक नहीं गया । उसने आव देखा न ताव झट से राज्य को काट लिया । जबकि अभी तक तो वो सोया भी नहीं था ।और जूँ ने भी उसे नहीं काटा था ।

राजा खटमल के तेज दांतों से काटे जाने पर तड़प कर उठ खड़ा हुआ । उसने तुरंत संतरी को बुलाया और कहा देखो हमारे पलंग के अंदर कोई  जूँ ,खटमल, मच्छर या कीड़ा अवश्य ही है । अभी -अभी मुझे उसने काटा है।

संतरी तुरंत आकर पलंग मे उसे खोजने लगे । वह चादर आदि मे ढूँढने लगे । खटमल तो तुरंत जाकर पलंग के पाए में जाकर चुप गया । और जूँ तो वहीं चादर की तह में छुपी बैठी थी । संतरियों ने तुरंत उसे पकड़ लिया तथा मसल डाला ।

शिक्षा :-

हमें कभी भी बुरे लोगों की संगत नहीं करनी चाहिए । और न ही किसी अज्ञात या अनजान व्यक्ति को या यों कहें की विराधी प्रवृत्ति वाले व्यक्ति को कभी भी आश्रय नहीं देना चाहिए । अन्यथा उनकी संगति से खुद पर ही आपत्ति आ सकती है ।            

 

 

 

 

 

    

 

 

 

 

    

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