रंगा हुआ सियार (moral story)
रंगा हुआ
सियार
बहुत पुरानी बात है किसी जंगल में एक धूर्त सियार जिसका नाम सूपडु सियार था ,रहता था एक दिन वह खाने की खोज में भटकते – भटकते गलती से शहर चला गया ।
जैसे ही वे गली में घुसा बहुत सारे कुत्ते उसके पीछे पड़ गए और वह अपनी जान
बचाता हुआ इधर उधर भागने लगा ,भागते हुए वह रंगरेजों की गली में पहुँच गया । वहाँ
बहुत सारे टब रखे हुए थे । जिनमें अलग अलग रंग घुला हुआ पानी रखा हुआ था।
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जल्दबाजी व घबराहट में वह सियार जाकर एक टब में गिर गया । उस टब में रंगरेज ने नीला रंग पानी में घोल कर रखा था । और जब वह पानी में से जब सुपडु सियार उस टब में से निकल तो वह पूरा का पूरा नीले रंग का हो गया ।
अब वह उदास तथा मायूस होकर
वापस जंगल की ओर चल दिया । जब वह जंगल पहुंचा तो उसको किसी ने नहीं पहचाना बल्कि
डरे डरे से उसे देखने लगे ।यहाँ तक कि शेर ,चीता , बाघ भी उससे डर गए ।
सियार समझ गया कि इन्होंने
मुझे नहीं पहचाना । वो धूर्त था उसे तुरंत एक तरकीब सूझी । उसने जानवरों से कहा कि -तुम लोग डरो मत
मैं तुमको नहीं खाऊँगा । मैं तुम्हारा नया राजा हूँ ओर मैं तुम पर राज करने के लिए
स्वर्ग से भेजा गया हूँ ।
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उसने आगे बोला की स्वर्ग के
देवताओं ने तुम सब पर राज करने के लिए मुझे चुना है । मुझे आज्ञा दी है कि धरती पर
जानवरों का कोई राजा नहीं है। वे सब राजाविहीन हैं यहाँ तक कि शेर आदि भी ।अतः तुम
जाकर उन पर राज करो ।
सबने उसकी बात ध्यान से सुनी
और उन बातों पर यकीन कर लिया । इसके साथ ही उन्होंने सुपडु सियार को अपना राजा मान
लिया।
इसके बाद उसने अपनी एक
मंत्रिपरिषद बनाई । शेर को सेनापति , लोमड़ी को परामर्श मंत्री, हाथी को
प्रधानमंत्री बनाया । इसी तरह अलग अलग मंत्री बनाए । और उन्हे अलग अलग काम सौंप
दिया।अब सब उसको अपना राजा मानते व उसकी आज्ञा का पालन करते । इस प्रकार सियार के दिन बड़े मजे से कटने लगे ।
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कुछ दिनों तक एसा चलता रहा । लेकिन एक दिन रात को दूर से उसे बहुत से सियारों के किलकारियों की आवाज आई । जिन्हे सुनकर वह बहुत ज्यादा खुश व उत्तेजित हो गया और इसमे उसे यह ध्यान नहीं रहा कि वह कहाँ है और उसने किसका रूप धारण कर रखा है । यह सब बात भूलकर वह भी उन आवाजों के साथ सुर में सुर मिलाने लगा । और उसकी भी आवाज सियारों की तरह ही निकल रही थी , ना कि किसी ताकतवर व डरावने राजा की तरह ।
उसकी आवाज सुनकर सब जानवर
उसके आस पास इकट्ठा होने लगे । क्योंकि वह अब समझ गए थे कि वह असल में कौन है। इसी
तरह सियार भी समझ चुका था की अब उसकी पोल खुल गई है। और अब यहाँ से भागने में ही
भलाई है । एसा सोचकर वह भागने लगा।
उधर शेर को दूसरे जानवरों ने
कहा कि महाराज यह तो आपसे बहुत बड़ा धोखा हुआ है जिसकी इसे सजा अवश्य ही मिलनी चाहिए
। शेर तो पहले से ही गुस्से में था क्योंकि सियार के कारण ही उसका राजा का पद उसके
हाथ से चल गया था । वह बोला कि हाँ यह अब
मेरे से बच नहीं सकता। और फिर क्या था उसने आव देखा ना ताव सियार पर झपट पड़ा । तथा
कुछ ही पलों में सियार का काम तमाम कर दिया ।
शिक्षा –इस कहानी से हमें यह
शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी अपनों का साथ नहीं छोड़ना चाहिए । ओर जो अपने सगे
संबंधियों व दोस्तों का साथ छोड़कर पराए लोगों के पास जाता है । उसे अंत में बहुत
पछताना पड़ता है। ऑउए अनेक विपत्तियों का सामना करना पड़ता है। अतः हमेशा अपने सच्चे
दोस्तों व संबंधियों के साथ रहे उनका साथ कभी ना
छोड़े क्योंकि वे ही मुसीबत मे हमारा साथ देते हैं ।
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